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सोमवार, 27 अगस्त 2012

शुभ दिन

गिलोय 
आपका शुभ दिन
सुबह उठ कर २ से ४ गिलास पानी पीना चाहिए . इसके साथ अपनी प्रकृति के अनुसार कोई ना कोई आयुर्वेदिक औषधि लेनी चाहिए . वात या पित्त प्रवृत्ति के लोगों को आंवला , एलो वेरा , या बेल पत्र या नीम पत्र या वात प्रवृत्ति वालों को मेथी दाना (भिगोया हुआ ); थायरोइड के मरीजों को भिगोया हुआ धनिया , कफ प्रवृत्ति के लोगों को तुलसी , कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को गिलोय घनवटी . इस प्रकार से रूटीन बना ले.
- खाली पेट चाय पीने से एसिडिटी की समस्या बढ़ सकती है .
- चाय का पानी उबालते समय उसमे ऋतू अनुसार कोई ना कोई जड़ी बूटी अवश्य डाले .अदरक चाय के बुरे गुणों को कम करता है .
- सुबह घुमने जाते समय अपने आस पास के वृक्षों और पौधों पर नज़र डाले . इनका आयुर्वेदिक महत्त्व समझे और इसके बारे में जानकारी फैलाइए. ताकि लोग इन्हें संरक्षण दे और काटे नहीं .इसमें कोई ना कोई जड़ी बूटी अपनी चाय के लिए चुन ले .
- हार्ट के मरीजो को अर्जुन की छाल चाय में डालनी चाहिए
- शकर जितनी कम डालेंगे हमारी आदत सुधरती जायेगी और मोटापा कम होता जाएगा .
- सफ़ेद शकर की जगह मधुरम का प्रयोग करे .
- चाय में तुलसी , इलायची , लेमन ग्रास , अश्वगंधा या दालचीनी डाली जा सकती है .
- चाय के पानी में थोड़ी देर दिव्य पेय डाल कर उबाले .
- वाग्भट के अष्टांग हृदयम में बताये गए सूत्रों के अनुसार दूध सुबह नहीं लिया जाना चाहिए पर ये काढ़े के साथ लिया जा सकता है . अगर हम चाय के पानी में दिव्य पेय या कोई भी जड़ी बूटी डाल कर ५-१० मी . उबाल ले तो ये एक काढा ही तैयार हो जाएगा . अब इसमें हम दूध डाल के ले सकते है .
- जो बच्चें मौसम बदलने पर बार बार बीमार पड़ते है उन्हें रोज़ थोड़ी चाय (जड़ी बूटी वाली ) दी जानी चाहिए .पेट गड़बड़ होने पर भी बच्चों को चाय देनी चाहिए .
- चाय के साथ कोई नमकीन पदार्थ ना ले क्योंकि इसमें दूध होता है जिसके साथ अगर नमक लिया जाए तो ये ज़हर पैदा करता है जिससे त्वचा रोग भी हो सकते है .
- चाय कम स्ट्रोंग पीनी चाहिए .
- दिन में २ कप से अधिक चाय कभी ना ले .
- चाय हमेशा स्वदेशी ब्रांड की ही ले ताकि हम सुबह का पहला काम तो देश के नाम कर सके .
- जो शाकाहारी है वे चाय बोन चायना के कप में ना ले क्योंकि ये कप हड्डियों के चूरे से ही बनाए जाते है .
(गर्मियों में बच्चें खेलकर आते है और खड़े खड़े फ्रिज से निकालकर चिल्ड पानी पीने लगते है . ये एक बहुत ही गलत आदत है और इससे धीरे धीरे शरीर में वात बढ़ने लगता है और बचपन से ही बच्चें मोटापे , अस्थमा , कड़े जोइंट्स का शिकार हो जाते है.)
- फ्रिज का चिल्ड पानी और बर्फ इन दोनों का ही गुण धर्म गर्म होता है . इससे शरीर में गर्मी पैदा होगी .
- गर्मी आने पर भी अगर हम सादा पानी ही पीते रहे तो फ्रिज के पानी की आदत नहीं लग पाएगी और ये हमें बहुत सी परेशानियों से बचा लेगी
- बहुत अधिक गर्मी होने पर मटके का पानी पी सकते है .
- गर्मियों में ताम्बे के बर्तन में पानी नहीं पीना चाहिए . इन दिनों में चांदी के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए .
- पानी बैठ कर घूंट घूंट कर गिलास से पीने की आदत बनाए .
- बहुत ठन्डे पानी से पाचन खराब होता है .
- एक्सरसाइज या मेहनत के काम के बाद तो बिल्कुल भी ठंडा पानी न पिएं। ऐसा करने से पिघला फैट फिर से जम जाता है।
आपका दिन शुभ हो ,मंगलमय हो !
Freelancer Banarasi Rajesh

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

गौरैया

गौरैया को मिला दिल्ली के राज्य पक्षी का दर्ज़ा















गौरैया को अपने घर और आसपास उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराने के मामले में हमें भी थोड़ा प्रयास करना चाहिए। घने छायादार पेड़ लगाएं जो गौरैया को आश्रय दे सकें। कच्ची जमीन नहीं हो तो छोटे-बड़े गमलों में पेड़-पौधे लगाएं। गमलों की जगह पेट या प्लास्टिक की बोतल-डिब्बों को काटकर उनका उपयोग भी किया जा सकता है। फ़ूल वाले पौधे भी इनके लिए उपयुक्त होते हैं। इन पर बैठने वाले कीट-पतंगे गौरैया का आहार भी बनते हैं। एक मिट्टे के बरतन में पक्षियों के लिए साफ़ पानी रखा जा सकता है और रोटी के टुकड़े, ब्रेड, दाल, चावल, गेहूं, बाजरा आदि अनाज दाने के रूप में डाले जा सकते हैं।
देर से ही सही एक अच्छा निर्णय सामने आया है। दिल्ली की मुख्य मन्त्री शीला दीक्षित ने स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व सन्ध्या पर घरेलू पक्षी गौरैया को राज्य पक्षी का दर्ज़ा देने की घोषणा कर दी। प्रदेश में गौरिया जैसे हर जगह दिखने वाले पक्षी का दिखना ही काफ़ी कम हो गया है। इसके पीछे तेजी से बढ़ता शहरीकरण, घटती हरियाली, मकानों के जंगल, बढ़ती आबादी, दाने-पानी के अनुपल्ब्धता, लोगों की उदासीनता आदि की ही प्रमुख भूमिका है।
जानेमाने पर्यावरणविद दिलावर के नेतृत्व में मुम्बई की संस्था नेचर फ़ॉ एवर सोसायटी ने गौरैया को बचाने के अभियान की पहल की है। हमारे यहां लोकगीतों में यह सीधासाधा पक्षी सदा रहा है। बच्चे और बड़े इसके दीवाने रहे है और गौरैया कवि-लेखकों की रचनाओं में पर्याप्त महत्व के साथ उपस्थित रही है।
गौरिया को प्राकृतिक या उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। तभी यह पक्षी दिखाई देता रहेगा। चिड़ियों को दाना और पानी रखने पर लोगों को फ़िर ध्यान देना होगा। इसमें कुछ विशेष खर्च नहीं आता, बस थोड़ा सा ध्यान देने और ध्यान रखने से बात बन जाएगी। यह जिम्मेदारी बच्चों को सौंप दी जाए तो वे बड़े उत्साह और चुस्ती से उसे निभाते हैं।
घर-आंगन में सुबह से ही चहकना-फ़ुदकना शुरू कर देने वाली छोटी सी गौरैया एक घरेलू पक्षी है। १५-१६ सेण्टी मीटर लम्बी गौरैया एशिया के अलावा मध्य यूरोप, दक्षिणी अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अमरीका, न्यूज़ीलैण्ड आदि में भी पायी जाती है। गौरैया पर हुए शोध में यह  चिन्ताजनक बात सामने आयी है कि इस पक्षी की संख्या में तेजी से कमी आयी है जो ६०-८० प्रतिशत है। प्रकृति के संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण ही यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
पर्यावरणविद दिलावर के प्रयास से २० मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। राजधानी में उन्हीं के प्रयास से राइज़ फ़ॉर द स्पैरोज़ अभियान शुरू हुआ है। ब्रिटेन की रॉयल सोसायटी ऑफ़ प्रोटेक्शन ऑफ़ बर्ड्स ने गौरैया को रेड लिस्ट में शामिल किया है। 
घरों में आंगन, हरियाली, बगीचे और पेड़-पौधे खत्म होते जाना गौरैया के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर सामने आया है। इनके घोंसलों के लिए जगह मिलना दूभर हो गया है। घर में यदि गौरैया कहीं घोंसला बना ले तो सफ़ाई पसन्द आधुनिक के रंग में रंगे लोग इनके घोंसले को साफ़ करने से भी नहीं हिचकते। मिलावटी, रासायनिक खादयुक्त दाना और गन्दा पानी भी इनके जीवन में ज़हर घोलते आ रहे हैं। 
जगह-जगह लगे मोबाइल फ़ोन टावर, बिजली के तार-खम्भे वगैरह भी इनके लिए अशुभ सिद्ध हुए हैं। मोबाइल फ़ोन टावर से उत्पन्न होने वाला रेडिएशन से इनकी प्रजनन क्षमता कम हुई है।
अब गौरैया को संरक्षण देने के सही प्रयासों की आवश्यकता है। यह सिर्फ़ सरकार, संस्थाओं या लोगों की ही नहीं सभी की जिम्मेदारी है कि थोड़ा सा ध्यान इस मासूम पक्षी की ओर भी दें। दिल्ली में बच्चों की शिक्षा में गौरैया का पाठ शामिल किया जाएगा। दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में पक्षियों के बारे मे विस्तृत अध्ययन हेतु कॉमन बर्ड  मॉनीटरिंग प्रोग्राम भी तैयार किया जाएगा।
गौरैया को अपने घर और आसपास उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराने के मामले में हमें भी थोड़ा प्रयास करना चाहिए। घने छायादार पेड़ लगाएं जो गौरैया को आश्रय दे सकें। कच्ची जमीन नहीं हो तो छोटे-बड़े गमलों में पेड़-पौधे लगाएं। गमलों की जगह पेट या प्लास्टिक की बोतल-डिब्बों को काटकर उनका उपयोग भी किया जा सकता है। फ़ूल वाले पौधे भी इनके लिए उपयुक्त होते हैं। इन पर बैठने वाले कीट-पतंगे गौरैया का आहार भी बनते हैं। एक मिट्टे के बरतन में पक्षियों के लिए साफ़ पानी रखा जा सकता है और रोटी के टुकड़े, ब्रेड, दाल, चावल, गेहूं, बाजरा आदि अनाज दाने के रूप में डाले जा सकते हैं। हर २-४ दिन बाद पानी के बरतन को साफ़ किया जाना चाहिए। घर मे लम्बी बेल या पेड़ हो तो गौरैया स्वत: आने-रहने लगेंगी। घर में कोई ऐसा स्थान भी गौरैया को उपलब्ध कराया जा सकता है जहां वह अपना घोंसला बनाकर रह सके। भूलकर भी उसका घोंसला उजाड़ने का पाप नहीं करना चाहिए।
गौरैया के बारे में और जानें- गौरैया  घरेलू गौरैया   फिर आओ प्यारी गौरैया  ओ री गौरैया...बनी दिल्ली की राज पक्ष
गौरैया.. विलुप्त प्रजातियों की सूची में  शहरों से गायब हो रही गौरैया

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

सुरक्षित आहार

शाकाहार होता है दिल के लिए सुरक्षित आहार
जिन देशों और समुदायों में मांसाहार ही मुख्य भोजन है उनमें कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग आदि सहित अनेक रोग अधिक पाये जाते हैं। लोगों में यह भ्रम है कि मांसाहार से अधिक प्रोटीन की प्राप्ति होती है। जबकि शरीर के लिए आवश्यक प्राटीन की आपूर्ति अच्छे और उचित आहार पर निर्भर करती है। शरीर के लिए आवश्यक 13 विटामिनों में से 11 शाकसब्जियों से ही मिल जाते हैं। धूप में रहने से विटामिन डी स्वतः मिल जाता है। विटामिन बी-12 आंत स्थित वैक्टीरिया स्वयं तैयार करता है। इसके लिए दूध या यीस्ट का उपयोग किया जा सकता है।
लम्बे समय से शाकाहार और मांसाहार को लेकर लोगों में पक्ष-विपक्ष में तर्क-वितर्क और चर्चाएं होती रही हैं। यह सर्वविदित है कि भारत में दिनोंदिन हृदय रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। जहां सन् 1984 में भारत में 3 प्रतिशत हृदय रोगी थे और जो अब बढ़कर 14 प्रतिशत हो गये हैं। अनेक विकसित देशों की तुलना में भारत में उम्र के लिहाज से 10 वर्ष पूर्व ही दिल का दौरा पड़ने लगा है। लगभग 45 वर्ष की उम्र में ही हृदय रोग के कारण मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। इनमें से बड़ी संख्या उन लोगों की है जो विभिन्न कारणों से समय पर अस्पताल या चिकित्सक के पास नहीं पहुंच पाते।
एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में ही आगामी 2 सालों में विष्व के कुल हृदय रोगियों के 70 प्रतिशत रोगी होंगे। मांसाहार और दूध व दुग्ध उत्पादों के साथ-साथ हमारी बदली जीवनशैली तथा खानपान की आदतों के कारण ही ऐसा हो रहा है। बिना लाभ-हानि की चिन्ता किए ज्यादातर लोग विभिन्न खाद्य पदार्थ अपना लेते हैं। एक पुरुष को 2700 और महिला को 2000 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन  और वसा से हमें तुरन्त ऊर्जा मिलती है। वसा से अधिक मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है यानी 1 ग्राम वसा से 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। वहीं 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट से लगभग 4 कैलोरी ही प्राप्त होती हैं।
जिन देशों और समुदायों में मांसाहार ही मुख्य भोजन है उनमें कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग आदि सहित अनेक रोग अधिक पाये जाते हैं। लोगों में यह भ्रम है कि मांसाहार से अधिक प्रोटीन की प्राप्ति होती है। जबकि शरीर के लिए आवश्यक प्राटीन की आपूर्ति अच्छे और उचित आहार पर निर्भर करती है। शरीर के लिए आवश्यक 13 विटामिनों में से 11 शाकसब्जियों से ही मिल जाते हैं। धूप में रहने से विटामिन डी स्वतः मिल जाता है। विटामिन बी-12 आंत स्थित वैक्टीरिया स्वयं तैयार करता है। इसके लिए दूध या यीस्ट का उपयोग किया जा सकता है।
सरसों का साग, पालक और ऐसी ही पत्तेदार हरी सब्जियों से दूध से भी अधिक कैल्शियम प्राप्त हो सकता है। इसी प्रकार अनेक सब्जियों में मांस और मांस उत्पादों से कहीं अधिक मात्रा में फाइबर (रेशा) होता है। इससे रक्त शर्करा का स्तर भी संतुलित रहता है। रेशेदार यानी फाइबर युक्त भोजन के अभाव में कब्ज़ व गैस की शिकायत हो जाती है। यही नहीं थकावट और कमजोरी का अनुभव भी होता है।
आज विश्वभर में विशेषज्ञ भोजन में सब्जियों के अधिकाधिक उपयोग पर जोर दे रहे हैं। डॉ. उमेश के अनुसार सब्जियों से हमें प्रचुर मात्रा में एण्टीआऑक्सीडेण्ट्स प्राप्त होते हैं। ये एण्टीआऑक्सीडेण्ट्स प्रदूषण, बढ़ती उम्र या अन्य कारणों से नष्ट होने वाली कोशिकाओं की क्षति को रोकते हैं। गाजर, बन्द गोभी, फूलगोभी, ब्रोक्कोली, मीठे आलू आदि में बेटाकैरोटिन अधिक होता है। इसमें कैंसर जैसे रोग से लड़ने वाले फाइटो कैमीकल भी होते हैं। सब्जियों के निरन्तर  भरपूर उपयोग से कोलेस्ट्रॉल पर अंकुश रहता है जिससे दिल पर संकट के बादल नहीं मंडराते।
पुरुष हो या महिला, सभी के लिए शाकाहार ही उपयुक्त आहार है। विशेष रूप से शाकाहार अपनाने वाली महिलाओं को मधुमेह, पथरी आदि की सम्भावना कम होने के साथ-साथ बढ़ती उम्र में शरीर के लिए आवश्यक खनिज पदार्थों की कमी का सामना भी नहीं करना पड़ता। जबकि मांसाहार के चलते ऐसा नहीं हो पाता।
फल, सब्जियों, मेवे आदि को भोजन में पर्याप्त महत्व देने से अनेक परेशानियों से बचा जा सकता है। फलों में पानी की काफी मात्रा होती है। इनमें पाये जाने वाले विभिन्न तत्व शरीर की मेटाबोलिक प्रक्रिया की गति बढ़ा देते हैं और प्राकृतिक रूप से शरीर में मौजूद शर्करा उपयुक्त मात्रा में ऊर्जा भी प्रदान करती है। विभिन्न मेवे, दालें, अनाजों आदि का भी नियमित रूप से उपयोग करना चाहिए। इन्हें आवश्यकतानुसार 24-48 घण्टे तक पानी में गलाकर और अंकुरित कर उपयोग में लाया जाए तो अधिक लाभ होता है। अंकुरित दाल-अनाजों को अपने आहार में शामिल करना एक बेहतरीन आदत है। इससे फाइबर, विटामिन-ई, के साथ-साथ अन्य खनिज-लवण-विटामिन आदि अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में प्राप्त होते हैं। जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर ठीक रहता है।
सार की बात यही है कि आपके और आपके परिवार के भले के लिए शाकाहार से बेहतर कुछ नहीं।
पूर्व प्रकाशित: प्रभासाक्षी

कितने तिरंगे

कितने तिरंगे 
१५ अगस्त, २०१२- सहयात्रा की असीम मंगलकामनाएं!  

रविवार, 5 अगस्त 2012

अपना गमला

कबाड़ से जुगाड़
घर में खाली हुए तेल आदि के डिब्बों से खुद बनाइए सुन्दर और टिकाऊ गमले फोकट में। किसी कटर, ब्लेड या चाकू से सावधानी के साथ प्लास्टिक या पैट डिब्बे को बीच से काटकर 2 कर लीजिए। इस तरह 2 गमले बन जाएंगे। दोनों की तली में अधिक पानी होने पर उसकी निकासी के लिए बड़े पेचकस या चाकू से लगभग 1 सेमी. के 1-2 छेद कर दीजिए। छेदों पर पत्थर, गिट्टी, कांच या टूटे गमले के छोटे टुकड़े रख दीजिए। अब सूखी मिट्टी लेकर उसे मोटी छन्नी से छान लीजिए या उसमें से ईंट-पत्थर के टुकड़े निकाल दीजिए। मिट्टी में सूखे गोबर या तोड़े हुए कण्डे (उपले) के टुकड़े अच्छी तरह मिला लीजिए। बाद में उपयोग की हुई चाय की पत्ती भी डाल सकते हैं। गमले को लगभग 1.5-2 सेमी. खाली रखें। थोड़ा पानी डालिए और उसमें मनपसन्द पौधा लगाइए।
यदि आपके घर में बहुउपयोगी तुलसी नहीं है तो पहला पौधा तुलसी का ही लगाइए और उसके गुणों का भरपूर लाभ उठाइए। इसी तरह पैट बोतलों के छोटे गमले भी बनाइए और इस बारे में अपने मित्रों को बताइए या उन्हें पौधों सहित उपहार में दीजिए। आनन्द आएगा। जय हरियाली!     
टी.सी. चन्दर
CLIK FOR JORDAAR-MAZEDAAR CARTOON-JOKES- टूनजोक TOONJOKE

शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

अण्णा पार्टी

अण्णा पार्टी का वाहन जुगाड़
देश का लोकप्रिय बहुउपयोगी वाहन जुगाड़























सुना है अण्णा पार्टी अपने लोगों को आरामदेह महंगी कारें नहीं खरीदने देगी। आवश्यकतानुसार सुपात्रों को एक-एक बहुउपयोगी ‘जुगाड़’ नामक लोकप्रिय वाहन उपलब्ध कराएगी/खरीदने या तैयार कराने को प्रेरित करेगी। इस डीज़ल चालित लोकप्रिय वाहन के लिए रजिस्ट्रेशन, बीमा, रोड टैक्स आदि की आवश्यकता नहीं। साथ ही इसका रखरखाव भी सस्ता है।
अण्णा के लोग इससे सवारी ढोने, सिंचाई, माल ढोने जैसे विभिन्न कार्यों करते हुए आत्म निर्भर और ईमानदार भी बने रह सकते हैं। जन प्रतिनिधि बहुत कम खर्च में अपने क्षेत्र में आ-जा सकेंगे...चुनाव प्रचार के लिए तो यह बहुत उपयोगी वाहन है। सबसे अच्छी बात- यह भारतीय सड़कों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त वाहन है।
• टी.सी. चन्दर

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