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रविवार, 21 अप्रैल 2013

३डी मोदी

नरेन्द्र मोदी और आधुनिक तकनीक 
पिछले गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान 10 दिसम्बर, 2012 को मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने त्रिआयामी यानी 3डी तकनीक का उपयोग करके एक साथ 53 स्थानों पर चुनाव सभाओं को सम्बोधित कर सारे
संसार को आश्चर्यचकित कर दिया। इस सम्बोधन को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया जा चुका है। चुनाव प्रचार में 3डी होलोग्राफिक प्रोजेक्शन तकनीक का उपयोग भारत ही नहीं सारे संसार के लिए एक अनूठी बात है। इस तकनीक का प्रयोग भारत में तो किसी भी क्षेत्र में पहली बार हुआ है।
इसकी आवश्यकता इसलिए पड़ी कि मोदी जी चुनाव प्रचार में प्रत्येक क्षेत्र के मतदाताओं तक सीधे पहुँचने के लिए कटिबद्ध थे। इस तकनीक का परीक्षण 18 नवम्बर 2012 को किया गया था, जब मोदी ने गुजरात के चार शहरों को 3डी तकनीक द्वारा जोड़ा। यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा और यह निश्चय किया गया कि इसका अधिकाधिक प्रयोग चुनाव प्रचार में किया जाएगा। इसी कड़ी में कई बार इसका प्रयोग किया गया, जिनमें
10 दिसम्बर का अन्तिम प्रयोग भी शामिल था। लेकिन यह पहली बार नहीं था जब मोदी जी ने नवीनतम तकनीकी के प्रति अपने लगाव को प्रकट किया हो। वास्तव में मोदी जी के मार्गदर्षन में गुजरात का जो चहुँमुखी विकास हुआ है, उसमें नवीनतम तकनीकों का प्रयोग प्रायः प्रत्येक स्तर पर किया गया है। मोदी जी का दर्शन है नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करते हुए अपनी प्रतिभाओं का उपयोग गुजरात और देश के विकास के लिए करना। उन्होंने इसके लिए यह सूत्र दिया है- IT+IT=IT
यहाँ पहली IT का तात्पर्य इंडियन टेलेंट अर्थात् भारतीय प्रतिभाओं से है, दूसरी IT का तात्पर्य इनफॉर्मेशन 
टैक्नोलाजी अर्थात् सूचना प्रौद्योगिकी से है और तीसरी IT का तात्पर्य इंडिया टुमारो अर्थात् भविष्य के भारत
से है। इस सूत्र का तात्पर्य है कि भारतीय प्रतिभाओं और सूचना प्रौद्योगिकी का समेकित उपयोग करते हुए
अपने देश को विकास की अन्तिम सीढ़ी तक ले जाना। 
मोदी का मानना है कि उन्नत तकनीकी से शासन और नागरिकों के बीच के सम्बंध नया रूप ले रहे हैं और नागरिकों की समस्याओं को हल करने में शासन अधिक सक्षम हो गया है। यह एक द्विमार्गी प्रक्रिया है। एक तो, नागरिकों को सूचनाएँ कई माध्यमों द्वारा उपलब्ध करायी जा रही हैं। इससे पहले नागरिक पांच साल में केवल एक बार नेताओं के सम्पर्क में आते थे, जब चुनाव होते थे। लेकिन अब वह सरकारी नीतियों का एक भाग हो गया है और उस पर कभी भी अपनी राय रख सकता है, सवाल उठा सकता है और सम्पर्क कर सकता है। दूसरे, उन्नत तकनीकी का प्रयोग करके शासन भी नागरिकों तक कम समय में और सुविधापूर्वक पहुँच सकता है, जैसे कि चुनाव प्रचार में 3डी तकनीकी से मोदी जी गुजरात प्रदेश के कोने-कोने तक पहुँच गये। प्रदेष के विकास में तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने और नयी तकनीकें विकसित करने के लिए मोदी जी ने गुजरात इंटरनेशनल वित्त तकनीकीनगर, संक्षेप में गिफ्ट (GIFT) प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। इस प्रोजेक्ट की शुरूआत सन् 2007 में हुई थी। उनके सपनों का यह शहर अब आकार लेने लगा है और उसके निवासी उसमें आने लगे हैं। 
साभार: आउटलुक
यह एक विषेष आर्थिक जोन (SEZ) है, जिसका पहला चरण साढ़े तीन साल में पूरा हो जाएगा। भारत के लिए अनूठे इस शहर में अनेक विशेषताएं होंगी। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी के आधारभूत ढाँचे पर नजर रखने के लिए एक नियंत्रण केन्द्र होगा। यह केन्द्र किसी भी आकस्मिक संकट के समय तत्काल आवश्यक कार्यवाही करेगा। इसमें एयर कंडीशनिंग की जगह ऊर्जा की 90 प्रतिषत तक बचत करने वाला शीतलन तंत्र होगा। इसमें कूड़े को स्वचालित रूप से छाँटा जाएगा और अनुपयोगी भाग को तेजी से किसी दूरस्थ केन्द्र तक भेजकर निस्तारित किया जाएगा। अभी तक भारत के किसी भी शहर में ऐसी शीतलन और कूड़ा निस्तारण व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं, इसमें कूड़े को जलाकर बिजली उत्पन्न की जाएगी, जिसका उपयोग शीतलन और अन्य कार्यों में किया जा सकता है। इस शहर की स्थापना करने का एक उद्देश्य मुम्बई, गुड़गाँव और बंगलौर तक से कम्पनियों को गुजरात में लाना है। लेकिन यह तो मामूली बात है। भारत के कई बैंकों, सिंगापुर की कम्पनियों, सरकारी एजेंसियों ने इस शहर के विकास और इसमें अपने कार्यालय स्थापित करने में रुचि दिखायी है। इतना ही नहीं, लन्दन और टोकियो के स्टॉक एक्सचेंजों ने इस शहर में अपने कार्यालय खोलने की इच्छा प्रकट की है। इस प्रकार यह शहर तकनीकी के साथ फाइनेंस का एक प्रमुख केन्द्र बनने जा रहा है।
इस शहर की स्थापना से आगामी 10 वर्ष में कम से कम 10 लाख प्रत्यक्ष और इससे भी अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होंगे। इससे देश में विदेशी पूँजी के आगमन का मार्ग प्रशस्त होगा। यहाँ यह उल्लेखनीय है
कि हांगकांग, दुबई, चीन, मलेशिया, लन्दन (ब्रिटेन) और न्यूयार्क (अमेरिका) में स्थापित ऐसे ही वित्तीय केन्द्र अपने-अपने देशों के सकल घरेलू उत्पादन में 5 से 60 प्रतिशत तक का योगदान देते हैं। उन्नत तकनीकों के उपयोगों के बारे में मोदी जी के ये विचार बहुत प्रेरणाप्रद हैं- ”अपने आप में तकनीकी न तो अच्छी होती है और न बुरी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम उसका उपयोग और समर्थन किस रूप में कर रहे हैं। राजनीति में तकनीकी जहाँ विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, वहीं तकनीकी में राजनीति को आने से हमें प्रयत्नपूर्वक रोकना होगा। तकनीकी को यदि सही रूप में प्रयोग किया जाए, तो यह एक बहुत शक्तिशाली उपकरण हो सकती है, जो समाज का आमूल-चूल परिवर्तन करने में समर्थ है। हमारे सामने चुनौती यह है कि हम आम आदमी को किस प्रकार अच्छे से अच्छे ढंग से तकनीकी से जोड़ सकते हैं। हमें ऐसे समाधानों की आवश्यकता है, जिनका उपयोग करके हम स्थानीय भाषाओं में आम जनता से जुड़ सकें। हमें अपनी तकनीकी सम्बंधी नीतियों और नवोन्मेशन को एक अधिक उपयोगी स्तर तक उठाना होगा, जहाँ हम आम आदमी को शक्तिशाली बनाते हुए विकास के रास्ते पर सफलतापूर्वक चल सकें।“ 
सुशासन के लिए तकनीकी का उपयोग करने में नरेन्द्र मोदी की गहरी रुचि जगजाहिर है। अच्छे और कम खर्चीले शासन के लिए ई-गवर्नेंस का उपयोग सरल और प्रभावी होता है। हाल ही में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कारों में अकेले गुजरात की झोली में लगभग एक चौथाई पुरस्कार आए। इनके अलावा कम्प्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया ने ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में मोदी जी के योगदान के लिए उन्हें ई-रत्न उपाधि देकर सम्मानित किया। इसके साथ ही उनको ‘उत्कृष्टता पुरस्कार’ भी प्रदान किया गया। इन पुरस्कारों के अतिरिक्त नरेन्द्र मोदी जी की सरकार को भारत सरकार द्वारा एक सम्मेलन में ‘सर्वश्रेष्ठ नागरिक सरकार’ का पुरस्कार भी प्रदान किया जा चुका है।
साभार: विजय कुमार सिंघल, युवा सुघोष 
http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=ereIJXSMRgw 


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