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रविवार, 30 जून 2013

साहिब

यादों में बसे हैं साहिब

• रमेश शर्मा
राजधानी में दिल्ली के भूतपूर्व मुख्य मन्त्री डॉ. साहिब सिंह  की याद में विगत 15 मार्च को लोग जुटे और उनका 66वां जन्म-दिन मनाया गया। हजारों लोगों ने उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस खबर के साथ जेहन में यादों के कई  भावुक पल उभर गए। मैं सौभाग्यशाली रहा हूँ कि स्वर्गीय साहिब सिंह को मैंने नजदीक से जाना। मेरी उनसे मुलाक़ात दिल्ली में ही हुई थी। जब 1995 -98 के दौर में वे मुख्यमंत्री थे और संयोग से सरकार की बीट मेरे पास थी। रोजाना दिल्ली सरकार के मुख्यालय में मेरा जाना होता था जो आजकल आईटीओ पर है मगर तब शामनाथ मार्ग पर विधान-सभा परिसर में हुआ करता था। 
पंजाब केसरी के पत्रकार स्वर्गीय उमेश लखनपाल  सारे पत्रकारों को एक प्रकार से लीड करते थे और उनके चुटीले सवालों के साथ प्रेस वार्ताओं में तो साहिब सिंह को जम कर घेरा जाता था। ये प्रेस वार्ताएं प्राय: दिलचस्प मुकाम पर पंहुचती थीं। जानदार सवाल, शानदार जवाब। एक दिन साहिब सिंह जी से पूछा गया कि बताइए, महंगाई इतनी है कि लोग सब्जी तक नहीं खरीद पा रहे हैं। उन्होंने आंकड़े पेश करने शुरू कर दिए। 
चटाक से फ़िर सवाल पूछ लिया गया- जनाब आपको मालूम    है कि मार्केट में लौकी और टमाटर के क्या भाव हैं? साहिब ने तपाक से रेट बता दिए। यह अप्रत्याशित था। कोई मुख्यमंत्री टमाटर और लौकी के ताजा रेट तभी बता सकता है जब उसे वाकई जानकारी हो। 
दिल्ली के चर्चित पत्र ‘कल्पांत’ में प्रकाशित
चन्दर का कैरीकेचर २३/११/१९९४
साहिब सिंह गाँव से जुड़े हुए नेता थे। वे लाईब्रेरियन के पद पर काम करते हुए ऊपर उठे थे और राजनीति में भी गाँव की मिट्टी की खुशबू बिखेरते रहते थे। वे धोती पहनते, आम आदमी के नजदीक आ कर बात करते थे। उनका घर हमेशा ग्रामीणों से भरा रहता था। सफारी संस्कृति के दौर में भी वे खादी और सादगी के उदाहरण थे। उन्होंने तुगलक रोड स्थित अपने आवास में तब एक झोपड़ी बनाई थी और ढिबरी जला कर उसमे सोते थे। 
एक दिन पत्रकार वार्ता के बाद जलपान के समय सबने देखा कि मेजों पर टोकरियों में पके हुए आम रखे हैं। ताजे रसीले आम। साहिब ने एक-एक पत्रकार के पास आ कर उनसे आम खाने का आग्रह किया और जब सबने आम खा लिए तो दूध भी आ गया। कुल्हड़ में दूध। साहिब के आग्रह पर आम खा कर पत्रकारों ने दूध पिया। साहिब बताने लगे दूध इसलिए ताकि आम पच जाए। आम तौर पर ठंडा पीने वाले कुछ भाईयों और उनकी कुछ बहनों को यह बात हजम नहीं हुई। मगर साहिब साहिब थे। जो जंचता वही कहते, वही करते। यह तब की बात है जब बाबा रामदेव अवतरित नहीं हुए थे, ठंडा मतलब जहर सुनीता नारायण के द्वारा उजागर नहीं हुआ था और शीतल पेय की बोतलें पार्टियों की शान हुआ करती थीं। 
साहिब सिंह जब तक सीएम रहे खुराना जी से उनकी ठनी रही। बाद में दोनों में सुलह हो गयी। गुजरते 1998 में एक शाम साहिब को बताया गया कि उनकी जगह सुषमा स्वराज को सीएम बनाया जा रहा है। साहिब के लिए यह सदमे की बात थी। वे पार्टी से बंधे थे। पद छोड़ दिया और अगले दिन डीटीसी बस में बैठ कर अपने घर गए। उस दिन खूब हंगामा मचा और मुझे याद है उनके इर्दगिर्द सब दुखी थे, साहिब के कुत्ते ने भी दो दिनों तक खाना नहीं खाया। वो दिन और आज का दिन... दिल्ली में भाजपा कभी सत्ता में दुबारा नहीं लौट सकी। चुनाव में पार्टी को सिर्फ 14 सीटें मिली। चार महीने में सुषमा भी कुछ करने की स्थिति में नहीं थीं। 
दिल्ली में संस्कार भारती के कार्य़क्रमों में तबियत 
खराब होते हुए भी वे उपस्थित रहे। चन्दर का 
 बनाया कैरीकेचर १४/०५/१९९
कहा जाता है कि हठात बदलाव का यह प्रयोग स्वर्गीय प्रमोद महाजन की दिलचस्पी पर किया गया था। वे सुषमा को केंद्र से हटाना चाहते थे, ऐसी अफवाह थी। इसमें शिकार हुए साहिब। जबकि साहिब के रहते यह आम आकलन था कि 25 -30 सीटें आएंगी। उसी साल चुनाव हुए और भाजपा विपक्ष में आ गयी जबकि साहिब रहते तो सीटें जरूर कम होती मगर सरकार दुबारा बनाने के पूरे आसार थे। अपने पाँव में कुल्हाड़ी मारने और शायद साहिब को हटाने का शाप भाजपा आज तक दिल्ली में भुगत रही है। 
2003 में साहिब बतौर श्रम मंत्री रायपुर आये थे। खुश हो कर मिले। श्रम विभाग के दफ्तर में लान में बैठ गये और समस्त स्टाफ से मिले। वे नेता कैसे थे इस पर पक्ष-विपक्ष में राय हो सकती है या बतौर मंत्री उनके काम में नुक्स निकल सकते हैं और इस पर मिले-जुले विचार भी हो सकते हैं मगर एक इंसान के रूप में वे साफगोई पसंद और हरदिल अजीज थे और यही चीज किसी के साथ रहती है और साथ जाती है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!

मंगलवार, 4 जून 2013

Hospital to home

1. Drawing cartoon from ventilator bed-I
Cartoonist TC Chander drawing cartoon from his ventilator bed, while he was admitted at Sant Paramanand Hospital, Civil Lines in Delhi. 
(19th May, 2013, 04 47 46 pm)
2. Drawing cartoon from ventilator bed-II
Cartoonist T C Chander drawing cartoon from his ventilator bed, while he was admitted at Sant Paramanand Hospital in Delhi.
(19th May, 2013, 04 50 32 pm)

Hospital to home 
May 17-24, 2013

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