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शनिवार, 10 अगस्त 2013

अल्पचिन्तन

ऐसा आरक्षण धर्म का अपमान
 डॉ. वेदप्रताप वैदि
सिर्फ मुसलमानों के लिए आरक्षण मांगना तो उन्हें भिखारी बनाना हैदया का पात्र बनाना हैइस्लाम का अपमान करना है और उनको अलगाव की खाई में धकेलना है। दुनिया के दूसरे मुसलमान उनके बारे में क्या सोचेंगेबेहतरीन रास्ता तो यह है कि न तो चुनावों में कोई आरक्षण हो और न ही नौकरियों में। आरक्षण सिर्फ शिक्षा में हो और सारे देश में शिक्षा का एक समान हो।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रहमान खान ने अब मुस्लिम लीग का पुराना राग फिर अलापा है। उनका कहना है कि स्थानीय निकायों में मुसलमानों के लिए आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि वे चाहते हैं कि मुसलमानों को संसद और विधानसभा में भी आरक्षण मिलना चाहिए लेकिन फिलहाल वे इसकी मांग नहीं कर रहे हैं। मतलब यह कि वे देश पर बड़ी मेहरबानी कर रहे हैं!  पता नहीं रहमान ने यह बयान देने के पहले अपनी पार्टी के नेताओं से कुछ सलाह की या नहीं? न भी की हो तो भी यह उम्मीद उनसे जरुर की जाती है कि हमारे संविधान के बारे में कुछ मोटी-मोटी जानकारियां उन्हें होंगी। क्या वे नहीं जानते कि धार्मिक आधार पर संविधान आरक्षण की अनुमति नहीं देताइस धार्मिक आधार ने ही भारत का बंटवारा करवाया था। क्या हम भारत को दुबारा तोड़ने की अनचाही साजिश का शिकार नहीं बन जाएंगेक्या मजहबी निर्वाचन-क्षेत्र आगे जाकर एक विराट पृथक राष्ट्र में परिणित नहीं हो जाएगाइसका अर्थ यह नहीं कि मुसलमानों की दुर्दशा पर देश आंखें मूंदे रहे। इसमें शक नहीं कि ज्यादातर मुसलमान वंचित और दलित हैं लेकिन उन्हें आरक्षण की रेवड़ियां इसलिए नहीं बांटी जातीं कि वे मुसलमान हैं। याने मुसलमान होना अपने आप में घाटे का सौदा हो गया है। अब सवाल यह है कि इस घाटे के सौदे को फायदे के सौदे में कैसे बदला जाएरहमान भी पिटे-पिटाए रास्ते पर चल पड़े। जैसे जात के आधार पर आरक्षण वैसे ही मज़हब के आधार पर भी आरक्षण। ये दोनों आधार बिल्कुल अवैज्ञानिक और गलत हैं। इन दोनों आधारों पर आरक्षण क्यों दिया जाता हैइसीलिए न कि वे वंचित हैं तो फिर आप जात और मजहब की ओट क्यों लेते हैंसीधे ही वंचितों को आरक्षण क्यों नहीं दे देतेऐसा करने से उन सारे अनुसूचित और मुस्लिमों को तो आरक्षण मिलेगा ही जो सचमुच वंचित हैं और जरुरतमंद हैं। इसके साथ-साथ दो फायदें और होंगे। एक तो इन्हीं जातियों और मज़हबों के मलाईदार वर्गों के लोग आरक्षित सीटों और नौकरियों पर हाथ साफ़ नहीं कर सकेंगे और दूसरासभी जातियों और मज़हबों में जो भी सचमुच विपन्न और वंचित होगाउसको भी सहारा लग जाएगा। सिर्फ मुसलमानों के लिए आरक्षण मांगना तो उन्हें भिखारी बनाना हैदया का पात्र बनाना हैइस्लाम का अपमान करना है और उनको अलगाव की खाई में धकेलना है। दुनिया के दूसरे मुसलमान उनके बारे में क्या सोचेंगेबेहतरीन रास्ता तो यह है कि न तो चुनावों में कोई आरक्षण हो और न ही नौकरियों में। आरक्षण सिर्फ शिक्षा में हो और सारे देश में शिक्षा का एक समान हो। वंचितों के बच्चों का शत-प्रतिशत आरक्षण हो और उन्हें शिक्षा के साथ-साथ भोजननिवासवस्त्र आदि भी मुफ्त मिलें तो देखिए सिर्फ दस वर्ष में ही भारत का रुपांतरण होता है या नहींभारत में समतावादी समाज उठ खड़ा होता है या नहीं? 9 अगस्त 2013साभार: www.vpvaidik.com

मंगलवार, 6 अगस्त 2013

विश्व सैनाचार्य

राजधानी में पट्टाभिषेक समारोह में प्रदान की गई विश्व सैनाचार्य की उपाधि
पश्चिमी  दिल्ली के हरि नगर घण्टाघर स्थित नारायणी मन्दिर में
आयोजित पट्टाभिषेक समारोह में महामण्डलेश्वर देवेन्द्रानन्द गिरि
को विश्व सैनाचार्य की उपाधि प्रदान करते हुए शंकराचार्य माधवाश्रम 
महाराज, रामानन्दाचार्य हंसदेवाचार्य
हाल ही में राजधानी के हरि नगर स्थित नारायणी मन्दिर में पट्टाभिषेक समारोह का आयोजन किया गया। 
भारतीय सैन समाज की ओर से आयोजित इस समारोह में महामंडलेश्वर देवेंद्रानंद गिरी को विश्व सैनाचार्य की उपाधि प्रदान की गई। कार्यक्रम में सैन समाज के विकास से जुड़ी अनेक बातों पर चर्चा हुई। समाज को शिक्षित बनाने की जरूरत पर विशेष जोर दिया गया। हरियाणा में सैन समाज के बच्चों के लिए तकनीकी शिक्षण संस्थान शीघ्र आरम्भ करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा दहेज प्रथा व भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों के खिलाफ सामूहिक प्रयास पर भी जोर दिया गया। राजनीतिक दलों में सैन समाज के पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर समाज के लोगों ने चिंता प्रकट की।
समारोह में विशेष रूप से उपस्थित सांसद महाबल मिश्रा ने कहा कि वे सैन समाज की यथासंभव मदद करने को तैयार हैं। सांसद ने नारायणी धाम मंदिर में सामुदायिक भवन निर्माण में हर तरह से मदद देने का आश्वासन दिया।  सैन समाज के प्रभारी सुघर सिंह के अनुसार इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रांतों से आये संतों व समाजसेवियों को आमंत्रित कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज, रामानंदाचार्य हंसदेवाचार्य सहित कई अखाड़ों के संत शामिल हुए। इस अवसर पर पुखराज राठौर, शिवदयाल, वीरेश व देवेंद्र कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे।

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