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गुरुवार, 28 अगस्त 2014

ईसाइयत

ईसाइयत पर भारत के महापुरुषों के विचार

स्वामी विवेकानन्द
आप मिशनरियों को शिक्षा कपड़े और पैसे क्या इसलिए देते हैं कि वे मेरे देश में आकर मेरे सभी पूर्वजों को मेरे देश में आकर मेरे सभी पूर्वजों को, मेरे धर्म को और जो भी मेरा है, उस सब को गालियां दें, भला बुरा कहें। वे मंदिर के सामने खड़े होकर कहते हैं ऐ ! मूर्तिपूजकों तुम नकर में जाओगे, लेकिन हिन्दुस्तान के मुसलमानों से ऐसी ही बात करने की उनकी हिम्मत इसलिए नहीं होती कि कहीं तलवारें न खिंच जाएं...और आपके धर्माधिकारी जब भी हमारी आलोचना करें, तब वे यह भी ध्यान रखें कि यदि सारा हिन्दुस्तान खड़ा होकर सम्पूर्ण हिन्द महासागर की तलहटी में पड़े कीचड़ को पश्चिमी देशों पर फेंकें, तो भी अन्याय के अंश मात्र का ही परिमार्जन होगा जो आप लोग हमारे साथ कर रहे हैं।
• डेट्राइट में ईसाइयों की एक सभा में वक्त्व्य
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मोहनदास करम चन्द गांधी
यदि वे पूरी तरह से मानवीय कार्यों तथा गरीबों की सेवा करने के बजाय डाक्टरी सहायता, शिक्षा आदि के द्वारा धर्म परिवर्तन करेगें, तो मैं निश्चय ही उन्हें चले जाने को कहूंगा  प्रत्येक राष्ट्र का धर्म अन्य किसी राष्ट्र के धर्म के समान ही श्रेष्ठ है। निश्चय ही भारत का धर्म यहां के लोगों के लिए पर्याप्त है। हमें धर्म परिवर्तन की आवश्कता नहीं।
• गांधी वाङ्मय खण्ड ४५ पृष्ठ ३३९
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पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन्
तुम्हारा क्राइस्ट तुम्हें एक उत्तम स्त्री और पुरुष बनाने में सफल न हो सका, तो हम कैसे मान लें कि वह हमारे लिए अधिक प्रयास करेगा, यदि हम ईसाई बन भी जाएं।
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डॉ. भीमराव अम्बेडकर
यह एक भयानक सत्य है कि ईसाई बनने से अराष्ट्रीय होते हैं।साथ ही यह भी सत्य है कि ईसाइयत, मतान्तरण के बाद भी जातिवाद नहीं मिटा सकती।• राइटिंग एण्ड स्पीचेज वाल्यूम 5 पृष्ठ 456

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गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर
ईसाई व मुसलमान मत अन्य सभी को समाप्त करने हेतु कटिबद्ध हैं। उनका उद्देश्य केवल अपने मत पर चलना नहीं है अपितु मानव धर्म को नष्ट करना है।
• पृष्ठ रवीन्द्र नाथ वाडमय २४ वां खण्ड पृष्ठ २७५ , टाइम्स आफ इंडिया १७-०४-१९२७ , कालान्तर




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कवि

जनपथ










मेरे मस्तिष्क के आकाश में
गहरी धुन्ध
साफ़ हो जाती है
जब मैं
भारत की राजधानी के बीचों-बीच
जनपथ को
राजपथ से
कटते हुए देखता हूं!
• सरदार दलीप सिंह अलमी
सरदार दलीप सिंह अलमी
पिछले दिनों मेरी तबियत के बारे में जानने को घर पर आये हिन्दी के जबरदस्त पक्षपाती मेरे पुराने मित्र गज़लकार-कवि सरदार दलीप सिंह।

वापसी

मंदिर में बदल गया चर्च 

वाल्मीकि समुदाय के 72 लोग हिंदू धर्म में लौटे

• इरम आगा, अलीगढ़
अलीगढ़ में सेवंथ डे एडवेंटिस्ट्स से जुड़ा एक चर्च रातोरात शिव मंदिर में तब्दील हो गया। 1995 में हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बने वाल्मीकि समाज के 72 लोगों ने फिर से हिंदू धर्म अपना लिया। जिस चर्च में पहले क्रॉस लगा था, उसे हटाकर वहां पर शिव की तस्वीर लगा दी गई है। हिंदू संगठन इसे 'घर वापसी' करार दे रहे हैं।
मंगलवार को अलीगढ़ से 30 किलोमीटर दूर असरोई में चर्च के अंदर व्यापक स्तर पर शुद्धिकरण किया गया। 19 साल पहले ईसाई बने 72 लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया। बताया जा रहा है कि इस चर्च में लगे क्रॉस को हटाकर गेट के बाहर रख दिया गया है और अंदर शिवजी की तस्वीर लगा दी है। जैसे ही इन लोगों के एक बार फिर हिंदू धर्म स्वीकार करने की खबर फैली, इलाके में तनाव फैलना शुरू हो गया। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट मौके पर पहुंच गई। कुछ ग्रामीणों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि अब शिव की तस्वीर को भी हटाकर एक घर में रख लिया गया है।
संघ प्रचारक और धर्म जागरण संगठन के प्रमुख खेम चंद्र ने कहा, 'इसे धर्मांतरण नहीं, घर वापसी कहते हैं। वे अपनी मर्जी से हिंदू धर्म छोड़कर गए थे और जब उन्हें लगा कि उन्होंने गलती की है, तो वे वापस आ गए।' 72 वाल्मीकियों के पुनर्धर्मांतरण पर खेम ने कहा, 'हम उनका स्वागत करते हैं। हम अपने समाज को बिखरने नहीं देंगे, हमें इसे समेटकर रखना होगा।' खेम ने कहा कि ये लोग कई सालों से ईसाई धर्म मान रहे थे। मैं इनसे कई बार मिला और इनसे अपने फैसले पर एक बार फिर से विचार करने को कहा।
एक बार फिर हिंदू धर्म में लौटे अनिल गौड़ का कहा है, 'हम जाति व्यवस्था से परेशान थे और इसी वजह से हमने अपना धर्म बदला था। लेकिन हमने पाया कि ईसाइयों के बीच भी हमारी स्थिति कुछ ठीक नहीं है। हिंदू थे, तब हमारा कोई स्तर नहीं था और हमें छोटे काम करने तक सीमित रहना पड़ता था। 19 साल तक हम ईसाई रहे, लेकिन हमने पाया कि वे भी हमारी कम्यूनिटी की मदद करने नहीं आए। बड़े दिन की कोई सेलिब्रेशन नहीं होती थी। बस मिशनरियों ने एक चर्च बना दिया। और कुछ नहीं।'
चर्च में शिव की तस्वीर लगाते युवक।
78 साल के राजेंद्र सिंह कहते हैं कि वह वापस हिंदू धर्म में आकर बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा, 'एक दिन मैं चर्च के बाहर सोया था कि मुझे पैरालिसिस का अटैक हो गया। मैं हिल तक नहीं पा रहा था। मुझे यह पिछले साल हुआ था। तब से लेकर आज तक मैं सोच रहा हूं कि यह मुझे माता देवी ने सजा दी है अपना विश्वास छोड़ने के लिए।'
अलीगढ़ में वकील और ईसाई समुदाय के नेता ओजमंड चार्ल्स इन बातों से सहमत नहीं होते। उन्होंने कहा, 'घर वापसी मुझे एक साजिश लगती है। कभी हम 'लव जिहाद' का शोर सुनते हैं और अब 'घर वापसी' की बात हो रही है। क्या यह हिंदू राष्ट्र बनाने के संकेत हैं? सिटी मेथडिस्ट चर्च के फादर भी इस खबर से नाराज दिखे। उन्होंने कहा, 'यह शुद्धिकरण पूजा उस चर्च के अंदर हुई, जो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट्स से जुड़ा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। विश्वास व्यक्तिगत मामला है लेकिन चर्च के अंदर हवन नहीं।'
इस बीच असरोई गांव में अगर कोई किसी से पुनर्धर्मांतरण के बारे में पूछता है, तो लोग अपने घरों मे चले जाते हैं तो कुछ कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम। साथ ही इलाके में पुलिस की मौजूदगी से लोगों में बेचैनी बढ़ गई है।
सौजन्य: नवभारत टाइम्स

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